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यूं ही नहीं कहा जाता हिमाचल को देव भूमि - टीसी ठाकुर

  • लेखक की तस्वीर: ahtv desk
    ahtv desk
  • 17 नव॰ 2019
  • 1 मिनट पठन



21वीं सदी के दौर में भी करसोग के दूर दराज गाँव कताण्डा (नगेलङी ) के पास एक पेड़ जहाँ से सभी वाहन चालक शीश नवाकर जाते हैं व इस पेड़ गाड़ियों की नंबर प्लेट या टूटे हुए सामान को श्रद्धा से चढाते हैं मानते है व वाहन ख़राब होने का भी ख़तरा नही रहता यानी यह पेड़ के पास शीश नवाने ,सामान चढ़ाने व् धुप वती करने से वाहन चालक इसे सुरक्षा की गरेंटी समझते है| यह मंदिर करसोग से लगभग 30 किलोमीटर दूर #करसोग_छतरी_महोग_पोखी मार्ग के कताण्डा से थोड़ी दूर (नगेलङी) पर स्थित है व् इस पेड़ पर #बनशिरा_देवता( वनों में रक्षाकरने वाला देवता ) का वास है यह जंगलो व सड़क मार्ग की रात्रि को पूरी तरह सुरक्षा करता है नंबर प्लेट,टूटे कल पुर्जे को चढाने से कम होती है नुकसान की आशंका यहाँ वाहन चालक लोहे के समान के कल पुर्जे चढ़ाते है जिसमे यात्रियों की यात्रा सफल होती है व् गाड़ी के नुकसान का भय भी नहीं रहता व् सुरक्षित अपने गंतब्य तक पहुँचने की कामना करते है चाहे यहाँ से छोटा या बड़ा वाहन कोई भी गुजरे इस पेड़ में धुप बती किए बगैर नही जाता

बनशिरा के कारदारो ने यहाँ मंदिर बनाने की सोची थी लेकिन देवता ने पूछ के दौरान मंदिर बनाने से इनकार कर दिया हालाँकि यहाँ साथ शिकारी माता का मंदिर बनाया गया है यह ग्रामीणों के साथ लोगों की भी आस्था का केंद्र है।





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