15 साल से कूहल पड़ी है बंद – 9 गांवों के खेत तरस रहे हैं पानी को
- ahtv desk
- 21 दिस॰ 2019
- 3 मिनट पठन
ग्रामीणों की आशंका ठेकेदारों द्वारा निर्माण कार्यों में किये गये हैं घोटाले
पानी नहीं आया तो सड़कों पर उतरेगी जनता – श्याम सिंह चौहान

पांगणा उप तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव गोडण के निवासियों ने उनके गांव में सरकार द्वारा बनाई गई कूहल में पानी नहीं आने का मुद्दा उठाते हुए जिला परिषद् सदस्य श्याम सिंह चौहान को बताया है कि पीछले 15 सालों से इस कूहल में पानी नहीं आया है। समय-समय पर इसकी मरम्मत होती रही है लेकिन ठेकेदारों द्वारा केवल खानापूर्ति की गई है, निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है जिसके चलते कूहल जगह-जगह से लीक कर रही है और कभी भी आखिरी छोर तक पानी नहीं पहुंचा है।
गोडण गांव के दिवाकर ने समस्या को विस्तार से बताते हुए कहा कि इस कूहल पर गोड़ण से लेकर थाच तक कूहल 9 गांव आते हैं। गोडण तक तो कैसे न कैसे करके गांव के लोग खुद साफ-सफाई कर पानी ले आते हैं लेकिन अगले 8 गांव तक कभी भी इसका पानी नहीं पहुंचता है। 15 सालों से इसके कई टेंडर निकल चुके हैं और काम हो चुका है लेकिन वास्तविक रूप से कूहल में इससे कभी पानी खेतों तक नहीं पहुंचा है। दिवाकर का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई हेल्पलाईन 1100 पर इसकी शिकायत दर्ज करवाई है। इसके बाद विभाग उक्त व्यक्ति को फोन भी आए हैं, लेकिन इस पर कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
गांव के बुजुर्ग श्री शुक्रू जी का कहना है कि 1982-83 में इस कूहल का निर्माण हुआ था। कुछ समय तक इसमें पानी आता रहा और इसकी देख रेख के लिए सरकार ने एक व्यक्ति को भी नियुक्त किया था लेकिन पीछले लगभग 15 सालों से कूहल की कोई देखभाल नहीं की जा रही, जगह-जगह से कूहल लीक हो रही है। ग्रामीण मतिधर का कहना है कि यह कार्य ठेकेदारों को दिया जाता है और ठेकेदारों द्वारा केवल खानापूर्ति करते हैं। सही निर्माण सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। अगर यह कूहल सही चले तो इस पर आबाद 9 गांवों के किसानों का भविष्य संवर सकता है और वह सब्जियों की अच्छी खेती कर सकते हैं।
वहीं नौजवान पितांबर ने भी निर्माण कार्यों में घोटाले की आशंका जताते हुए कहा कि अगर सही रेशो में सीमेंट-रेता आदि लगाया गया होता तो कूहल की यह हालात नहीं होती। इसमें सही तरीके से सामग्री का इस्तेमाल होना चाहिए। अगर कूहल से पानी मिलने लगे तो यहां के किसान खुशहाल हो सकते हैं, पानी नहीं होने की वजह से लगातार फसलों के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है। उनका सवाल है कि जब हम टैक्स, मामला सब समय पर अदा करते हैं तो हमारी कूहल में पानी क्यों नहीं आ रहा।
गांव के भेड़ पालकों का कहना है कि कभी विभाग वालों ने इसकी सफाई नहीं की है, जरूरत पड़ने पर हम ही अपने गांव तक इसकी सफाई करते हैं। मनरेगा के तहत यह कार्य किया जा सकता है।
प्रभावित लोगों की प्रशासन से मांग कि है कि निर्माण कार्यों को सही तरीके से चलाने के लिए गांव वालों को मिलाकर निगरानी समिति का गठन किया जाना चाहिए ताकि वह राशि और सामग्री का सही ब्योरा रख सके और घोटालों पर अंकुश लगा सके।
कूहल का निरक्षण करने से साफ पता चलता है कि यहां वर्षों से पानी नहीं आया है, जगह-जगह टूटी हुई पड़ी है, कूहल में जगह-जगह मलबा भरा बड़ा, झाड़ियां उग आई हैं और पानी की निकासी के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है। इस संबंध में जल्द से जल्द लोगों की समस्याओं की सुनावई की जानी चाहिए। पिछले 15 सालों में जो भी इस पर खर्च हुआ है, किस ठेकेदारों को टेंडर दिए गए हैं, कौन इस में गड़बड़ का जिम्मेदार है, तथा किन अधिकारियों ने काम के देख-रेख की और किन अधिकारियों ने इस घटिया निर्माण कार्यों पास किया, इसकी प्रशासनिक जांच की जाए। जल्द-जल्द से इस कूहल का ठीक ढंग से निर्माण किया जाना चाहिए ताकि यहां के लोगों को रोजगार के लिए दर-दर न भटकना पड़े और वह अपनी जमीन से अच्छा उत्पादन ले सकें। अगर ऐसा नहीं होता तो आने वाले दो महीनें में इसके खिलाफ प्रभावित गांवों के लोगों को लामबंद करते हुए संबंधित अधिकारियों का घेराव किया जाएगा। जनता को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
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