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लाहौल-स्पिति और किन्नौर के संगठनों ने किया जनजातीय एकता का आह्वान, हिमचाल के आदिवासी संगठन हुए एकजुट

  • लेखक की तस्वीर: ahtv desk
    ahtv desk
  • 5 मार्च 2020
  • 3 मिनट पठन

पालमपुर (हिमधरा)

जल जंगल ज़मीन और जन-जातीय अस्तित्व पर दो दिवसीय संवाद कार्यशाला का आयोजन लाहौल-स्पिति और किन्नौर के जन संगठनों ने किया जन जातीय एकता का आह्वान


विभिन्न जन संगठनों के कार्यकर्ता - फोटो हिमधरा

हिमाचल के जन जातीय क्षेत्रों, लाहौल, स्पिति और किन्नौर के सक्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों की दो दिवसीय बैठक पालमपुर स्थित संभावना संस्थान में 2 और 3 मार्च को आयोजित की गयी। जिसमें ‘जल-जंगल-ज़मीन और हमारा अस्तित्व’ इस मुद्दे पर चिंतन मंथन किया गया | कार्यशाला में ज़मीन अधिकार और जन-जातीय पहचान का मुद्दा चर्चाओं के केंद्र में रहा |

ट्राइबल होना केवल हमारी राजनैतिक पहचान नहीं – हम खुद को मूल निवासी मानते हैं और हमारी भाषा, जीवन शैली और रीति- रिवाज़ मुख्यधारा से ऐतिहासिक रूप से अलग थे |

आज भी हमारी स्थानीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से जंगल और ज़मीन पर टीकी हुयी है | पहाड़ के जन जातीय इलाकों की भौगोलिक और पारिस्थितिकीय परिस्थितियां अत्यंत नाज़ुक हैं और कृषि योग्य भूमि कम है | आज़ादी के बाद दुर्गम होने के बावजूद लाहौल, स्पिति और किन्नौर जनजातीय क्षेत्रों में स्थित समुदायों को देश के संवैधानिक प्रावधानों के चलते शिक्षा और आजीविका दोनों को विकसित करने का मौक़ा मिला है | परन्तु आधुनिक विकास के युग में कई ऐसे आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय परिवर्तन हिमाचल के इन जन जातीय क्षेत्रों में हुए हैं जो आज के दिन चिंता का विषय बन गये हैं | ये परिवर्तन न केवल तेज़ी से आ रहे हैं बल्कि इनके मूल कारण कहीं न कहीं राज्य के इलावा, राष्ट्रीय और विश्व भर में चल रही आर्थिक विकास के मोडल से तय हो रहें हैं |

एक तरफ जल विद्युत् जैसी विनाशकारी विकास की परियोजनाएं सरकार द्वारा थोपी जा रहीं हैं तो दूसरी तरफ कई महत्वपूर्ण कानून जैसे वन अधिकार कानून, पेसा, नौतोड नियम व्यवस्थागत अड़चनों और राजनैतिक उदासीनता के चलते लागू नहीं किये जा रहे | इसी सन्दर्भ में जन जातीय समुदायों को अपने संसाधनों को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने और इन पर अपने संवैधानिक अधिकारों को हासिल करने के लिए एक व्यापक प्रयास करने की आवश्यकता महसूस हो रही है | इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए निम्न प्रस्ताव बैठक में पारित किये गये :

1. जल -जंगल -ज़मीन हमारे जीवन, आजीविका और अस्तित्व का मुद्दा है जो सभी जन जातीय क्षेत्र के लोग प्राथमिकता से उठायेंगे ।

2. हमारी मुहिम केवल अधिकार लेने के लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने क्षेत्र, उसके संसाधन और सामाजिक-सांस्कृतिक-प्राकृतिक विरासत को बचाने के लिए हैं।

3. जन जातीय क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था – 73 संशोधन और PESA कानून को मजबूती से लागू करना होगा ताकि ग्राम सभा की भूमिका निर्णय प्रक्रिया में केन्द्रीय हो ।

4. आज के दिन हमारे लिए मुख्य चुनौतियां हैं ज़मीन अधिकार प्राप्त करना, जल विद्युत परियोजनाओं के खतरों से बचना और टूरिज्म को समुदाय आधारित और पर्वारण के अनुकूल बनाना।

5. वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत व्यक्तिगत अधिकार के इलावा – सामूहिक अधिकार ख़ास कर वन संरक्षण के अधिकार हासिल करना हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐतिहासिक रूप से हमने इन वनों का इस्तेमाल और रख रखाव दोनों किया है – और आगे भी हम ही करेंगे ।

6. जल विद्युत परियोजनाओं का विरोध हम केवल अपनी आजीविका और ज़मीन बचाने के लिए नहीं कर रहे बल्कि हमारे अभियान में नदियों को निर्मल और अविरल बहते रखने का उद्देश्य शामिल किया जाएगा ताकि हमारी धरोहर – चेनाब, स्पिति और अपर सतलुज – अविरल मुक्त बहती रहें।

7. टूरिज्म और पर्यटन को योजनाबद्ध और नियंत्रित तरीके से करने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा जिसमें स्थानीय समुदायों, महिला मंडलों, वन संरक्षण समितियों की मुख्य भूमिका होगी ताकि आजीविका कमाने के मौके स्थानीय लोगों को मिलें तथा पर्यावरण और हमारी संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव न पड़ें।

8. हम इन प्रयासों में अधिक से अधिक स्थानीय जनता को जोड़ेंगे और इसको एक जन आन्दोलन का रूप देने के लिए संघर्षशील रहेंगे | इसमें हमारा पूरा प्रयास होगा की महिलाओं तथा युवाओं की भागीदारी और नेतृत्व सुनिश्चित किया जाए ताकि इन प्रयासों को मजबूती मिले | साथ ही हम भरमौर और पांगी के जन जातीय क्षेत्रों के जन संगठनों को भी इसमें जोड़ेंगे ।

9. हमारा संघर्ष किसी राजनैतिक पार्टी के प्रभाव से मुक्त होगा और आने वाले समय में इसको एक व्यापक रूप देने का प्रयास करेंगे जो सत्ता की राजनीति से हट कर काम करे।

10. इस कार्यशाला में तय उद्देश्यों को आगे ले जाने के लिए हमने 7 सदस्यों की एक समन्वय समिति गठित की है जो इस कार्यक्रम को आगे ले जाएगी।

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