अगर बिजली पानी मुफ्त नहीं हुआ तो हिमाचल बीजेपी को भूगतने पड़ेंगे राजनीतिक परिणाण - श्याम सिंह चौहान
- 14 फ़र॰ 2020
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अपडेट करने की तारीख: 19 फ़र॰ 2020
दिल्ली की तर्ज पर हर घर को बिजली-पानी मुफ्त दे हिमाचल सरकार

दिल्ली में आम आदमी पार्टी द्वारा दर्ज करवाई गई जीत ने हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सोशल मिडिया पर ही नहीं जगह-जगह गांव-गली में में यह मांग उठने लगी है कि जब बिजली-पानी, सीमेंट हिमचाल प्रदेश में ही बनते हैं तो यहां के लोगों को इतने मंहगे दामों पर क्यों बेचे जा रहे हैं। पांगना व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुमित गुप्ता ने स्टेटमेंट जारी करते हुए सरकार से यह मांग की है कि किसानों और स्थानीय नागरिकों को बिजली-पानी मुफ्त प्रदान किया जाना चाहिए। जिस से हर परिवार को लगभग 400-500 रुपये का फायदा हो सकता है।
हिमाचल प्रदेश में कुल 21 लाख बिजली उपभोक्ता हैं, अगर हिमाचल सरकार को प्रति उपभोक्ता 125 युनिट बिजली हर महीने मुफ्त में देनी पड़ी तो उसको हर महीने 26 करोड़ 25 लाख युनिट मुफ्त देनी होगी जिस पर 93 करोड़ 18 लाख 75 हजार रुपये खर्च आएगा इस प्रकार हर साल सरकार के खजाने पर 1118 करोड़ 25 लाख रुपये का बोझ बढ़ जाएगा। ज्ञात रहे कि हिमाचल सरकार पहली 125 युनिटों 1.55 रुपये के हिसाब से बिल लेती है। ऐसे में कहीं से भी नहीं लगता कि सरकार लोगों की इस मांग को पूरा कर पाएगी क्योंकि हिमाचल प्रदेश सरकार पर पहले से ही 60 हजार करोड़ का ऋण खड़ा है। आम आदमी पार्टी की दिल्ली जीत ने लोगों द्वारा सोशल मिडिया पर की जारी मांग लगता है आने वाले समय में हिमचाल भाजपा की नींद हराम कर देगी। हिमाचल प्रदेश सरकार बिजली पर पहले से ही 475 करोड़ रुपये सब्सिडी दे रही है। लोगों का कहना है कि अगर सरकार 1200 करोड़ की कमाई कर के भी 1118 करोड़ रूपये नहीं खर्च कर पाती तो यह उसकी नाकामी ही है।
ज्ञात रहे कि हिमाचल प्रदेश सरकार बहारी राज्यों को बिजली बेच कर प्रति वर्ष लगभग 1000 करोड़ रुपये की आमदनी लेती है। इस साल मार्च तक सरकार 1200 करोड़ रुपये की बिजली बेच चुकी है। प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार इतना मुनाफा कमा कर भी लोगों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही है जबकि दूसरे राज्य हिमाचल से बिजली खरीद कर अपने नागरिकों, किसानों को मुफ्त बिजली दे रहे हैं। अब यह सरकार पर है कि वह किस तरह से अपने बजट का संतुलन बनाती है या लोगों की मांग को अनसुनी करती है।
बाडो-रोहाड़ा पंचायत के पूर्व प्रधान चेहतराम ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में सैंकड़ों हाईड्रो प्रोजेक्ट, कोल डैम, भाखड़ा डैम, रणजीत सागर जैसे बड़े बांध बनाए गए हैं जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ा रहा है। पर्यावारण का बहुत अधिक नुक्सान हुआ है फिर भी उसका लाभ जनता को नहीं मिल रहा है। सरकार को जितना जल्दी हो सके प्रदेश की जनता को मुफ्त बिजली और पानी दिया जाना चाहिए।

अगर मांग नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में राजनीतिक रूप से हिमचाल में भाजपा सरकार को खामियाजना भुगतना पड़ेगा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव श्याम सिंह चौहान कहते हैं कि अगर सरकार केंद्रीय पूल से बिजली में अपने हिस्सा बढ़ाने की मांग करे और हिमाचल में बनाए गये बांधों से पानी का उचित मुआवजा ले तो यह मांग पूरी की जा सकती है क्योंकि हिमाचल में बिजली इतनी अधिक पैदा हो रही है कि उसके खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं, मजबूरी में ओने-पौने दामों पर बिजली बेच दी जाती है। अगर दिल्ली जैसी सरकार जिसको बिजली और पानी दूसरे राज्यों से खरीदना पड़ता है, वह मुफ्त में अपने लोगों को बिजली-पानी दे सकती है तो हिमाचल प्रदेश सरकार क्यों नहीं दे सकती। बिजली ही नहीं शिक्षा और स्वास्थ्य भी मुफ्त हो और इसके लिए बजट में बढ़ोतरी की जानी चाहिए।
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