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एक हवाई अड्डा और हजारों परिवार

  • लेखक की तस्वीर: ahtv desk
    ahtv desk
  • 23 नव॰ 2019
  • 9 मिनट पठन

“मंडी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से बल्ह घाटी का नामोनिशान मिट जाएगा”


बल्ह घाटी प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिए इस तरह की उपजाऊ भूमि ली जा रही है.

4 अक्तुबर 2019 को विभिन्न समाचार पत्रों में छपी खबरों ने बल्ह घाटी के हजारों लोगों को सकते में डाल दिया है। हालांकि अखबारों की सुर्खियां थी - मंडीवासियों को दीवाली का तौफा। मंडी में पत्रकारों से बातचीत में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि एयरपोर्ट के निर्माण से लोगों को विस्थापन की मार झेलनी पडे़गी, लेकिन प्रभावितों को उचित मुआवजा दिलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सूबे में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने प्रभावितों लोगों से सहयोग की अपील की है, ताकि हिमाचल में बड़े विमान उतर सकें।[1] लेकिन स्थानीय जनता हिमाचल की सबसे उपजाऊ जमीन को हवाई अड्डे में तबदील किए जाने के डर से सहमी हुई है। मंडी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना से हजारों लोगों के विस्थापन होने का खतरा मंडराने लगा है। इस से न केवल कृषि भूमि बंजर हो जाएगी बल्कि हिमाचल के पर्यावरण पर भी इसका बहुत ही खतरनाक असर पड़ेगा। मंडी जिला प्रशासन की वेबसाईट के अनुसार बल्ह वैली उच्च गुणवत्ता की गेहूं, चावल व सब्जियों के उत्पादन के लिए जानी जाती है, जहां सिंचाई के लिए नहर और स्प्रिंकल व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाता है। बल्ह घाटी में लगभग 9000 हेक्टेयर जमीन पर खेती होती है। लोगों को डर है कि एयरपोर्ट और फोरलेन में जो जमीनें जाएंगी सो जाएंगी लेकिन उसके बाद यहां अन्य परियोजनाएं भी आएंगी जिस से बल्ह घाटी का नामोनिशान नहीं बच पाएगा।


बल्ह घाटी, गोभी की फसल, फोटो हिमयात्री

हिमाचल प्रदेश के कुल क्षेत्रफल 55.77 लाख हेक्टेयर में से मात्र 5.6 लाख हेक्टेयर पर ही खेती की जाती है। कुल क्षेत्रफल के 10 प्रतिशत क्षेत्रफल पर खेती करने वाला हिमाचल 71 प्रतिशत लोगों को रोजी-रोटी मुहैया करवाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में लगभग 7 लाख मिट्रिक टन मक्की, 6 लाख मिट्रिक टन गेहूं और 1.50 लाख टन धान का उत्पादन होता है। धान के लिए लोग मुख्य रूप से कांगड़ा और बल्ह वैली पर निर्भर है। प्रस्तावित जिला मंडी, तहसील बल्ह के नागचला में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना में इलाके की 3500 बीघे यानी लगभग 700 एकड़ उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इस से हिमाचल के चावल उत्पादन सहित सब्जी व अन्य अनाजों पर भी असर पड़ेगा।

1967 से पहले यहां की सारी जमीनें राजाओं द्वारा स्थापित किए गए सामंतों और जमींदारों के पास होती थी, राजा के पास जमीन का बहुत सारा हिस्सा था। यहां के किसानों को मुजारा कहा जाता था, जमीन का असली मालिक अंग्रेजों ने राजा को घोषित कर रखा था। लोग बटाई पर खेती करते थे। जनता द्वारा किए गए संघर्ष के बाद यहां भूमिसुधार लागू हुए थे जिसके चलते यहां की जमीनें किसानों के पास आ गई थी। किसानों ने इस जमीन का बाकायदा हर्जाना भी भरा था। इलाका बाढ़ प्रभावित है, जिसके चलते भारी मात्रा में पहाड़ों से उपजाऊ मिट्टी आकर बल्ह घाटी का निर्माण करती है। लोगों ने बहुत मेहनत के बाद यहां की जमीनें खेती के लायक बनाई है। 60 के दशक के आखिर में यहां पर भंगरोटू में इंडो-जर्मन एग्रिकल्चर प्रोजेक्ट आया जिस के बाद यहां पर भारी मात्रा में नकदी फसले उगाई जाने लगी। वर्तमान में टमाटर उत्पादन में यह जिला सोलन के बाद हिमाचल में दूसरे नंबर पर है। यहां सबसे अधिक उत्पादन अनाज और सब्जियों का होता है।

बल्ह घाटी कृषि उत्पादन की स्थिति

एरिया-हेक्टेयर उत्पादन-क्विंटल



पर्यावरण की दृष्टि से इसके परिणाम बहुत खतरनाक साबित होंगे। मंडी से सुंदरनगर तक बल्ह घाटी 20 किलोमीटर में फैला हुआ मैदानी इलाका है। इसके आसपास बरमाणा, भरेड़ी में सीमेंट प्लांट लगे हुए हैं, गुम्मा और तत्तापानी में सीमेंट प्लांट प्रस्तावित है, कोल डैम नाम से बड़ा बाँध भी इसी इलाके में है, बद्दी-नालागढ़-बरोटीवाला औद्योगिक इलाका इस से ज्यादा दूर नहीं है। कुल मिलाकर देखा जाए तो धौलाधार पर्वत श्रृंखला की तलहटी में मौजूद बल्ह घाटी में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा इलाके के पर्यावरण को और अधिक बिगाड़ देगा। स्थानीय लोगों के अनुसार पहले से मौजूद परियोजनाओं से इलाके में लगातार गर्मी बढ़ी, बर्फ के पिघलने की दर बढ़ चुकी है, गर्मियों में अत्यधिक गर्मी होने लगी है, फसलों का उत्पादन घटा है और पानी के स्रोत सूख रहे हैं। अगर हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन इस तरह से बंजर परियोजनाओं को दी गई तो खाद्यान्न का संकट बढ़ सकता है। जंगली जानवरों पर भी इसके बुरे प्रभाव पड़ेंगे। 

बल्ह घाटी को सुकेती, कंशा और लोहारी खड्ड से सिंचाई होती है, इसके अलावा बीबीएमबी की नहर से भी खेतों की सिंचाई होती है। परियोजना से खड्डों के अस्तित्व पर भी निशान लग जाएगा। तीनों खड्डे हवाई पट्टी के बिल्कुल पास से गुजरती हैं। सरकारी योजना है कि इन खड्डों के बाहव को बदला जाएगा ताकि पट्टी पर इसका असर न पड़े। अगर ऐसा होता है तो इलाके के लिए और पट्टी से आगे इस से सिंचित होने वाले खेतों को पानी नहीं पहुंचेगा। इन खड्डों से ऊठाऊ पेयजल योजना के तहत पहाड़ के ऊपरी गांव में भी पीने का पानी गया हुआ है, इस प्रकार इस से वह भी प्रभावित होंगे।

प्रस्तावित परियोजना के पास प्राचीन ड्योढ़ा जंगल पड़ता है। जंगल में हजारों की तदाद में पक्षी और जानवर रहते हैं। जलाऊ लकड़ी, जड़ी-बूटी, घास आदि के लिए हजारों लोग सदियों से इस जंगल पर निर्भर हैं। जंगल पर परियोजना का बुरा असर पड़ेगा।

परियोजना की जद्द में 11 से अधिक गांव आएंगे। अभी तक माना जा रहा है कि इस से 10 हजार लोग प्रभावित होंगे प्रभावितों में 80 प्रतिशत दलित और दो गांव मुस्लिमों के हैं। परियोजना से केवल वही लोग प्रभावित नहीं होते जिसकी जमीन है, इसकी जद्द में आने वाला सारा इलाका ही प्रभावित होता है।

कब से है परियोजना की तैयारी?

यह बहुत पुरानी परियोजना है, खबरों के मुताबिक सबसे पहले इसकी मांग 2007 में वीरभद्र सरकार द्वारा की गई थी, उस समय सिविल एवियेशन मंत्री प्रफुल पटेल ने मुख्यमंत्री वीरभद्र को आश्वासन दिया था कि मंडी जिले के सुंदरनगर में नए हवाई अड्डे[2] का निर्माण किया जाएगा। एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया ने भी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद 2013 में जब बीजेपी के प्रेमकुमार धुमल मुख्यमंत्री बने तो उस समय भी इस परियोजना पर कार्य आगे बढ़ाने पर सहमति बनी थी। उन्होंने यूनियन सिविल एवियेशन मंत्राल्य को प्रस्ताव देते हुए कहा था कि केवल हिमाचल ही ऐसा क्षेत्र हैं जहां बड़ा हवाई अड्डा नहीं है, इस से भारी खर्च करने वाले विदेशी पर्यटकों को राज्य आकर्षित कर सकता है।[3]उस समय भी कहा गया था कि इसका तकनीकी अध्ययन एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया द्वारा कर लिया गया है और रिपोर्ट भेजी जा चुकी है।


जून 2018 में में तीसरी बार अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थापित करने की कवायद शुरू की गई है। जून में एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया की टीम ने लगभग 10 दिनों तक बल्ह तहसील के नागचला, मौवासेरी आदि इलाके में सर्वे किया। 11 जून को सीएम जयराम ठाकुर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सर्वे के बाद बल्ह के नेरचौक से नागचला तक की नई साइट को फाइनल कर दिया है। यहां पाँच किलोमीटर लंबा रनवे बनने की संभावना है।[4] यहां बड़ी मात्रा में नकदी फसलें होती हैं। प्रारंभिक सर्वे के अनुसार क्षेत्र के करीब 11 मुहाल और करीब 1200 घर इसकी जद्द में आएंगे। इनमें प्रमुख मुहाल जरलू, कुम्मी, तावा, रिंज, सियाहा, मझियाटल, डडौर, ढावण, ढुगराई, भौर, कनेड़ आदि शामिल हैं। पिछले माह एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम ने पांच साइटों का निरीक्षण किया। इसमें पहले बल्ह में नेरढांगू के पास और फिर चार अन्य साइटों का सर्वेक्षण किया। बाकी स्थानों पर बड़े हवाई अड्डे की संभावना नगण्य दिखी।


वहीं, जब यह टीम मौवीसेरी की साइट देखने गई थी तो वहां से बल्ह घाटी की नागचला तक की नई साइट पर नजर पड़ी थी। सीएम ने कहा कि नई साइट पर बड़ा एयरपोर्ट बनाने की संभावना है, इसलिए इस साइट को फाइनल किया जा रहा है।


मार्च 2019 में परियोजना क्षेत्र का ओएलएस सर्वे (आब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस सर्वे) किया गया जो कि एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया की कसौटी पर खरा उतरा। टीम ने दस दिनों तक घूम-घूम कर ढाबण, छातड़ू, डयोडा व नागचला तथा लूनापाणी का दौरा किया था।[5] अगस्त में जय राम ठाकुर इसके निर्माण के लिए 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह से नई दिल्ली में मिले और नागचला एयरपोर्ट के लिए 2000 करोड़ रुपए देने की प्रार्थना की।[6]


शुरूआत से ही विरोध के स्वर

13 जून 2018 को बल्ह बचाओ संघर्ष समिति ने बल्ह घाटी में एयरपोर्ट बनाने का विरोध किया। ग्रामीणों ने मांग की थी कि प्रस्तावित एयरपोर्ट को कहीं और शिफ्ट किय जाए, वह अपने पुरखों की जमीन परियोजना को देने के लिए तैयार नहीं हैं। ग्रामीणों का एक समूह बल्ह बचाओ संघर्ष समिति के बैनर नीचे बीजेपी के स्थानीय विधायक इंद्रसिंह गांधी से मिला और उनसे अपील की कि वह मुख्यमंत्री से मांग करे कि एयरपोर्ट को कहीं और बदल दिया जाए। संघर्ष समिति के प्रवक्ता जोगेंद्र सिंह वालिया ने बताया कि कुल 3500 बीघा जमीन में से 3019 बीघा जमीन निजी है जिस पर 5000 हजार परिवार निर्भर है जिसको विस्थापित होना पड़ेगा।[7]इसके बाद समिति ने अक्तुबर 2018 में मंडी में विरोध प्रदर्शन किया। स्थानीय दैनिक के अनुसार बल्ह घाटी में प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण को लेकर बल्ह क्षेत्र की जनता भड़क गई है। बल्ह बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने मंडी शहर में रैली निकालकर हवाई अड्डे का विरोध किया। समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद की अगुआई में देश के प्रधानमंत्री समेत प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंप कर घाटी में प्रस्तावित हवाई अड्डे का निर्माण किसी अन्य स्थान पर करने का आग्रह किया गया। बेरोजगारी की मार झेल रहा युवा खेतों में नकदी फसलें उगाकर परिवार का भरण पोषण कर रहा है। हजारों की तादाद में युवा बेरोजगार हो जाएंगे। 1962 में जब ब्यास सतलुज लिंक परियोजना का सर्वे किया गया था उस दौरान बल्ह में झील बनाई जा रही थी। लेकिन किसानों के विरोध के कारण झील का प्रस्ताव बदलकर, सुंदरनगर में झील का निर्माण किया गया। कंसा मैदान के साथ साथ डयोडा जंगल भी हवाई अड्डे की जद में आकर इनका नामोनिशान मिट जाएगा। लोगों की जमीनें हवाई अड्डे के इस पार और उस पार बंट जाएंगी। खेती करने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ेगा।



इस मौके पर समिति सचिव नंद लाल वर्मा, मोहन लाल सैनी, पूनम चौधरी, जयराम सैनी, मुनशी राम, रूप लाल चौधरी, प्रेमदास चौधरी, रफीक मोहम्मद हलीम हंस, भवानी ¨सह, शिव लाल, भुवनेश्वर लाल, हिमाचल किसान सभा के नेता परसराम और फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगेंद्र वालिया ने भी संबोधित किया।[8] नवंबर में भी समिति ने मंडी उपायुक्त से मिलकर अपना विरोध दर्ज करवाया - प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को बताया कि हवाई अड्डा बनने से पूरा बल्ह उजड़ जाएगा। बल्ह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कृषि क्षेत्र रहा है। इसे मिनी पंजाब के नाम से भी जाना जाता है। स्वतंत्रता से पहले यहां जो भूमि थी, वह राजा द्वारा स्थापित सामंतों व साहूकारों के पास थी। किसानों के लंबे संघर्ष के बाद 1966-67 में किए गए भूमि सुधारों के चलते जमीन पर किसानों का मालिकाना हक हुआ था। इसी दौरान भंगरोटू में इंडो जर्मन एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट आया था। किसानों ने आधुनिक खेती की शुरुआत की और लगातार यहां का किसान वैज्ञानिक खेती को अपनाते हुए आगे बढ़ता गया। टमाटर उत्पादन में सोलन जिला के बाद हिमाचल में दूसरा नंबर बल्ह का है। जहां हवाई अड्डा प्रस्तावित हैं, वहां घनी आबादी है। सरकार ने इस क्षेत्र को फ्लड जोन घोषित कर रखा है।


वहीं एक तबका ऐसा भी है जो बल्ह घाटी में एयरपोर्ट बनाए जाने का समर्थन करता है। बल्ह विकास मंच नामक संगठन ने दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलकर एयरपोर्ट के समर्थन किया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि किसानों ने मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट तथा जनहित तथा क्षेत्र के विकास में सामूहिक रुप से अपनी-अपनी जमीन के दस्तावेज सौंपने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने इस फैसले का प्रशंसा करते हुए कहा कि बल्ह विकास मंच के सहयोग तथा योगदान को हमेशा सराहा जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में बल्ह विकास मंच के अध्यक्ष सुरेश वर्मा, मुख्य सलाहकार राजेंद्र सेन, उपाध्यक्ष दीवान चौधरी, महासचिव सोहन लाल वालिया, प्रैस सचिव कपिल सिंह सेन तता अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।[9]


क्या वास्तव में हवाई अड्डे की जरूरत है?
हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 68 लाख है। यहां पर आने वाले पर्यटकों की संख्या, वर्तमान मुख्यमंत्री के अनुसार सालाना 1 लाख 57 हजार है। वहीं कुल पर्यटकों की संख्या पीछले साल 52 लाख 26 हजार दर्ज की गई थी।[10] इस से पहले हिमाचल जैसे छोटे से राज्य में तीन हवाई अड्डे मौजूद हैं जिस की हालात कोई ज्यादा अच्छी नहीं है। गगल हवाई अड्डा कांगड़ा, मनाली-कुल्लू हवाई अड्डा भुंतर और शिमाला में हवाई अड्डे से नियमित उड़ाने नहीं भरी जा रही हैं, क्योंकि यात्री कम होते हैं। वहीं प्रस्तावित बल्ह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से तीनों हवाई अड्डों की सड़क मार्ग से दूरी 100 किलोमीटर से कम है। इस से सवाल उठता है कि क्या वास्तव में बल्ह घाटी का नामोनिशान मिटा कर, या हजारों लोगों के विस्थापन की कीमत पर क्या यह हवाई अड्डा उचित है? क्या इतने यात्री हैं जितने एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए जरूरी होते हैं? क्या अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक गगल, भुंतर या शिमला हवाई अड्डों पर उतर कर मंडी नहीं पहुंच सकते?

[1] सीएम ने दिया बड़ा तोहफा, यहां पर हिमाचल का पहला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने का रास्ता साफ, amar ujala 11 june 2018


[2]Sundernagar to put HP on international air map, Indian Express, Raghvendara Rao, New Delhi, March 28 Thu Mar 29 2007, 01:32 hrs


[3]Himachal proposes international airport in Balh valley, Baldev S Chauhan | times of India New Delhi/ Shimla, Last Updated at January 29, 2013 01:55 IST


[4]सीएम ने दिया बड़ा तोहफा, यहां पर हिमाचल का पहला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने का रास्ता साफ, अमर उजाला ब्यूरो, मंडी Updated Mon, 11 Jun 2018 09:04 AM IST


[5]बल्ह घाटी में बनेगा तीन किलोमीटर लंबा रनवे, दैनिक जागरण Publish Date:Tue, 05 Mar 2019 06:53 PM (IST)


[6]Thakur demands special grant for Mandi airport, the tribune, Posted at: Aug 7, 2019, 8:08 AM; last updated: Aug 7, 2019, 8:08 AM (IST)


[7]Dipender Manta, Tribune News Service, Posted at: Jun 15, 2018, 1:06 AM; last updated: Jun 15, 2018, 1:06 AM (IST)


[8]हवाई अड्डे के विरोध में सड़क पर उतरे लोग, दैनिक जागरण, Publish Date:Mon, 01 Oct 2018 07:20 PM (IST)


[9]हिमाचल दस्त, धर्मशाला, बुधवार 26 दिसंबर, 2018, प्रमेंद्र कटोच, नेरचौक


[10] International airport is likely to come up at Balh in Mandi, times of india, 11 june 2018

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