कब जागेगा पुरातत्व विभाग - सुकेत रियासत के पुरातात्विक इतिहास को किया जा रहा है नजरंदाज
- GDP Singh
- 4 मार्च 2020
- 2 मिनट पठन

भारतीय संघ में सबसे पहले शामिल होने वाली सुकेत रियासत अपने इतिहास को नजरंदाज किये जाने से दुख के आंसू रो रही है। हिमाचल प्रदेश की प्राचीनत्म रियासतों में से सुकेत रियासत बहुत महत्वपूर्ण रियासत रही है। इसकी स्थापना बंगाल से आए वीर सेन ने 765ई. में की थी। बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखने के बाद इसका विलय 15 अप्रैल 1948 को भारतीय संघ में हो गया था। लेकिन इसके प्राचीन किले, मंदिर, महल व धार्मिक महत्व के स्थानों को आज तक पुरातत्व विभाग नजरंदाज करता आया है। सैकड़ों साल पूराने पुरातात्विक महत्व के स्थानों को अभी तक वह दर्जा हासिल नहीं हुआ है जो होना चाहिए था।
सुकेत रियासत में जगह-जगह प्राचीन मंदिर और पूरातात्विक महत्व के स्थान है। जहां भी कहीं निर्माण कार्य होता है कुछ न कुछ ऐतिहासिक महत्व की चिजे इतिहास के गर्भ से बाहर निकल ही आती हैं। इस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए पुरात्व जागरुकता पुरष्कार से सम्मानित और सुकेत रियासत के इतिहास के जानकार डा. जगदीश शर्मा जी ने यह पोस्ट शेयर की है... हम अलर्ट हिमाचल में उसे ज्यों का त्यों स्थान दे रहे हैं। सं. अलर्ट हिमचाल

धार्मिक और सांस्कृतिक तथ्य संजोए है पांगणा का अंबरनाथ मंदिर - डा. जगदीश शर्मा
पांगणा के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक अंबरनाथ शिवालय में इन दिनों जीर्णोद्धार का कार्य हो रहा है।इस मंदिर की स्थापत्य कला अद्भुत रही है।द्वापर युग में यह मंदिर शिखर शैली का रहा है।यहां का वस्तुशिल्प और मूर्ति शिल्प अद्भुत है।अपने स्थापना काल से लेकर सन् 1981 के मध्य इसका जीर्णोद्धार हुआ तो शिखर शैली के स्थान पर सतलुज तटीय पहाड़ी शैली में इसका निर्माण हुआ।वर्ष 1981 में यह मंदिर आग की भेंट चढ़ गया पूर्णतः आधुनिक शैली में इसका निर्माण हुआ।
धार्मिक और सांस्कृतिक तथ्यों को संजोए इस मंदिर को प्राचीन स्वरूप प्रदान करने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ के प्रधान श्री धर्म प्रकाश शर्मा जी,सेवानिवृत्त कानूनगो भूपेन्द्र शर्मा जी,पर्यटन विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी श्री विद्यासागर जी,विद्युत विभाग के सेवानिवृत्त कनिष्ठ अभियंता श्री विद्यासागर जी,इसी विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी श्री हीरालाल शर्मा जी,स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत अधिकारी श्री जगन्नाथ शर्मा जी,समेकित बाल विकास परियोजना विभाग के श्री वेद प्रकाश जी ने स्थानीय पंचायत,व्यापार मंडल,महिला मंडल,युवक मंडल,महामाया मंदिर समिति तथा समस्त ग्राम वासियों के सहयोग से इस धरोहर के विकास को नई दिशा देने का संकल्प लिया है।
इस स्थान पर तेजी से चल रहे श्रमदान के दौरान मंदिर के खुदाई कार्य के दौरान खंडित मूर्तियां व तांबे का 123 वर्ष पुराना एक सिक्का मिला है।वक्त के मलबे में पांगणा के समृद्ध इतिहास की दबी पड़ी दस्तान को उजागर करने के लिए बहुत बड़ी धनराशि और सहयोग की आवश्यकता होगी जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई)के सहयोग के बगैर असंम्भव है।लेकिन करसोग के ममेल, पांगणा, चरखड़ी, घाड़ी या जहां-जहां भी जहां-जहां भी मलबे में दबी पड़ी मूर्तियां मिली हैं विभाग ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है।ऐसे में उपेक्षित पड़ी धरोहरों की कौन सुध ले?
चरखड़ी टावर की खुदाई से प्राप्त मुर्तियां - जानकारी देते स्थानीय गुर, फोटो हिमयात्री
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