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सरकार आयुर्वेदिक डाक्टर नहीं भेज सकती तो स्वास्थ्य केंद्र को ताला लगा दो

  • लेखक की तस्वीर: GDP Singh
    GDP Singh
  • 19 जन॰ 2020
  • 3 मिनट पठन

डेढ़ साल से डाक्टर की बाट जोह रहा है प्रेसी आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र,

दुर्गम इलाकों की 6000 हजार आबादी हो रही है प्रभावित

सप्ताह में एक बार डाक्टर भेजने की कोशिश की जाएगी - एसडीएएमओ करसोग



हालांकि हिमाचल सरकार अपने दो वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए थक नहीं रही है, हर दिन कहीं न कहीं सरकार की सफलतापूर्ण दो साल के जश्न मनाए जा रहे हैं। खिचड़ी के रिकार्ड बनाए जा रहे हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री के गृह जंझेली से लगते क्षेत्र के नजदिक करसोग तहसील के बाढो-रोहाड़ा पंचायत के अंतर्गत आने वाला आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र पीछले डेढ़ साल से डाक्टर की बाट जो रहा है। स्वास्थ्य केंद्र मात्र एक फार्मेसिस्ट के सहारे चलाया जा रहा है। ग्रामीणों ने एकजुट होकर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि अगर सरकार डाक्टर की नियुक्ति नहीं कर सकती तो स्वास्थ्य केंद्र को ही बंद कर दे।



बाडो रोहाड़ा पंचायत के प्रेसी गांव के नाम से करीब 44 साल पहले आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र खोला गया था। इस केंद्र पर करीब 6000 आबदी आश्रित है। लेकिन पीछड़ा इलाका होने के चलते यहां पर लगातार डाक्टर की कमी रहती आई है। दशकों पुराना स्वास्थ्य केंद्र होने के चलते अब तक तो इसे सीएचसी के रूप में विकसित हो जाना चाहिए था। यहां पर स्वास्थ्य केंद्र का भवन बहुत ही शानदार बना हुआ है लेकिन डाक्टर के बिना यह सफेद हाथी साबित हो रहा है। एक फार्मेसिस्ट है जो अपनी सेवाएं दे रहा है लेकिन उसकी भी अपनी मजबूरियां हैं। उसे जो दवाई देने की आज्ञा है वह दे देता है लेकिन अगर बड़ा केश आ जाए तो डाक्टर के बिना उसे रेफर करना पड़ता है। कई बार उसे मरीजों के गुस्से का शिकार भी होना पड़ता है।


स्वास्थ्य विभाग के गैर जिम्मेदाराना रवैये से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पुर्व प्रधान बाडो रोहाड़ा चेहत राम का कहना है कि हमारा इलाका मुख्यमंत्री जी के गृह क्षेत्र के पास आता है लेकिन इसके विकास की अनदेखी की जा रही है। डाक्टर नहीं होने से कई मरीज बीच रास्ते में ही दम तोड़ गए हैं। यहां पर प्राथमिक उपचार की सुविधा तक के लिए लोगों को 20-25 किलोमीटर दूर हस्पतालों में जाना पड़ता है।



विडियो लाईव टाइम्स टीवी से


ग्रामीण खेमराज, रिषभ भार्द्वाज, संत राम, लीलाधर का कहना है कि अगर सरकार यहां पर डाक्टर नहीं भेज सकती तो इस केंद्र को बंद कर देना चाहिए। यहां पर न दवाई मिल पाती नहीं ही कोई डाक्टर है। पीछले दो सालों में तीन-चार केस ऐसे हो चुके हैं कि प्राथमिक उपचार के अभाव में बड़े हस्तपताल ले जाते समय बीच रास्ते में दम तोड़ चुके हैं। अगर सरकार डाक्टर नहीं भेजती तो हमें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।


वहीं अपने बच्चों के लिए दवाई लेने आई हिमादेवी, टिबरीदेवी, सीमादेवी, कली देवी ने बताया कि कई किलोमीटर पहाड़ चढ़ कर स्वास्थ्य केंद्र आते हैं ताकि बच्चों के लिए दवाई मिल जाए, बर्फ का सीजन है, शहर जाने के रास्ते बंद हो जाते हैं तो यहां आने पर दवाई भी नहीं मिल पाती। हमारे बच्चों के लिए जल्द से जल्द सरकार द्वारा डाक्टर की नियुक्ति की जानी चाहिए।


वर्तमान प्रधान वीमला चौहान ने बताया कि इस के बारे में हमने मौखिक रूप से मंत्री जी से बात चीत की थी। पंचायत की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं डाला गया। आने वाले समय में हम इस पर पंचायत की मीटिंग बुला कर सरकार से मांग करेंगे।


रविंद्र ठाकुर एसडीएएमओ (सब डिविजनल आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर)

विभाग की तरफ से हर महीने डाक्टरों की समस्याओं पर सरकार को अवगत करवाया जा रहा है। जैसे ही नई भर्तियां होती है तो उम्मीद है कि करसोग में भी आयुर्वेदिक डाक्टरों की नियुक्तियां होने की संभावना है। विभाग से बात चीत की जा रही है ताकि कम से कम सप्ताह में कोई एक डाक्टर वहां पर विजिट करे

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