धम नहीं रहा मुख्यमंत्री के पीएसओ का विवाद, ससपेंड करवाने के लिए बालीचौकी में प्रदर्शन
- ahtv desk
- 28 नव॰ 2019
- 2 मिनट पठन
जिला परिषद सदस्य को जान से मारने की दी थी धमकी

कल मुख्यमंत्री के निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) बलवंत को पद से हटाने को लेकर के बाली चौकी में नारी सभा व ग्रामीण कामगार संगठन ने प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को तहसीलदार बाली चौकी के माध्यम से ज्ञापन दिया गया। इस से पहले 21 नवंबर को हिमाचल नारी सभा बालीचौकी ने माननीय मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को सभा कीअध्यक्षा राधा देवी व सचिव गीता शर्मा की अध्यक्षता में नायब तहसीलदार बाली चौकी के माध्यम से ज्ञापन दिया जिसमें मांग की गई थी कि पीएसओ बलवंत के खिलाफ एक सप्ताह के अंदर अंदर कार्यवाही की जाए अन्यथा उनके संगठन को जन आंदोलन व धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

क्या है पूरा मामला
मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश के पीएसओ बलवंत पर बालिचौकी तहसिल के गांव भुराह की एक विधवा महिला ने आपरोप लगाया था कि अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मुझे मेरे परिवार को लगातार परेशान किया जा रहा है और सोशल मिडिया पर छवी खराब की जा रही है। आरोपी विधवा ने महिला आयोग और एसपी मंडी को लिखे पत्र में कहा है कि उनके पति की मृत्यु 2014 में एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी। इसके बाद उस संबंधी सारे कागजात पीएसओ बलवंत ले गया और कहा गया कि उसने कलेम के लिए केस कर दिया है, लेकिन जब महिला ने सुचना के अधिकार के तहत जब कोर्ट से दस्तावेज मांगे तो वहां किसी तरह का केस दर्ज नहीं किया गया था। महिला का आरोप है कि उसे गुमराह किया गया और उसके साथ मारपीट भी की गई। विधवा के अनुसार उसकी ननद की अवैध शादी पीएसओ बलवंत के साथ हुई है। उसकी सासू मां को इस केस के संबंध में कोर्ट जाने से भी रोका जा रहा है।

इस आरोप के बाद पीएसओ बलवंत ने सुचना अधिकार कार्यकर्ता और बालिचौकी के खारवाण वार्ड के जिला परिषद सदस्य संत राम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। बलवंत ने कथित तौर पर संत राम पर आरोप लगाए कि वह कमीश्नखोर है और उसने कलेम की एवेज में 30 हजार रुपये की मांग की थी।
15 नंवबर को मामला तब और गरमा गया जब जिला परिषद सदस्य संत राम न बलंवत पर जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाए और उनके खिलाफ बालीचौकी में एफआईआर दर्ज करवाई। संतराम का कहना है कि 14 नवंबर की शाम को बलवंत ने फोन पर जाने से मारने की धमकी दी और उनके साथ गालीगलौच की। उनका आरोप है कि वह मुख्यमंत्री के पीएसओ पद का इस्तेमाल कर हमारे जैसे जनप्रतिनिधियों को धमकी दे रहा है।
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