सरकार ने रोक दिया है अर्ध सैनिक बलों के जवानों का भत्ता - एसएफआई करसोग का आरोप
- 14 फ़र॰ 2020
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एसएफआई करसोग ने पुलवामा शहीदों की दी श्रद्धांजली

आज एसएफआई इकाई करसोग द्वारा पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और केंद्र सरकार किए गए शहीदों के वादों को पूरा करने को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया इस धरना प्रदर्शन में सिमाला जिला सचिवालय सदस्य संतोष हर बात रखते हुए कहा गया की उत्तरप्रदेश, हिमाचल,हरियाणा आदि कई भाजपा शासित राज्यो में एक तो राहत राशि(20 से 25 लाख) सरकार के द्वारा न्यूनतम रखी गई है लेकिन अभी तक यह राशि भी शहीद जवानों के परिवारों को नही दी गई है। जबकि केरल, दिल्ली व आंध्र प्रदेश की राज्य सरकारों ने 1-1 करोड़ रुपये की राहत राशि उसी समय शहीद जवानों के परिजनों को दे दी थी।
एसएफआई का मानना है कि मौजूदा सरकार केवल सेना का राजनीतिकरण करना चाहती है।लेकिन जब सेना की सुरक्षा व्यवस्था के लिये इंतजाम,या उनके वेतन ,पेंशन,व खान पान की बात आती है तो सरकार के पास बजट नही होता है।
केंद्र की मोदी सरकार ‘जवान-जवान’ करते हुए अब उन्हीं को सुविधाएं देने में नाकाम होने लगी है। बीजेपी की केंद्र सरकार ने सेना और जवानों को लेकर सबसे ज्यादा राजनीति की है। जैसे जैसे भाजपा की देश मे राजनीतिक स्थिति कमजोर होने लगती है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जवानों का राग अलापने लगते हैं। सच्चाई यह है कि सीमा पर तैनात रहने वाले सशस्त्र बल के करीब 90000 हजार कर्मियों को सरकार की तरफ से जनवरी और फरवरी के भत्तों का भुगतान नहीं किया गया है।
भत्तों का भुगतान नहीं किया जाना सरकार के पास फंड की कमी बताया जा रहा है। सशस्त्र बल के चीफ कमांडर ने चिंता जताते हुए मोदी सरकार से कह दिया है कि उनके पास दो महीने का वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं है। ये साफ़ तौर पर मंदी का असर है जो अब सेना के जवानों के ऊपर भी दिखने लगा है। लेकिन मोदी सरकार ये मानने को तैयार ही नहीं है कि देश में मंदी है! जबकि एक-एक करके सभी सरकारी कंपनियों और संस्थाओं में पैसे की कमी साफ़ दिखने लगी है।
Sfi के मुताबिक, यह दूसरा मौका है जब अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों के भत्तों का भुगतान रोक दिया गया है। पिछले साल सितंबर 2019 में सीआरपीएफ के 3 लाख जवानों का 3600 रुपये का राशन भत्ता रोक दिया गया था।
सशस्त्र बल के कर्मचारियों के जो भत्ते रोके गए हैं उसमें सभी तरह के भत्ते शामिल हैं। जिसमें बच्चों की पढाई, लीव कांशेसन आदि भत्ते शामिल हैं। बता दें कि एसएसबी भूटान-नेपाल से सटी भारत की 2450 किलोमीटर सीमा की रक्षा करते
हिमाचल प्रदेश से सम्बंधित पुलवामा हमले के शहीद तिलकराज जी के परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले एक साल से सरकार का कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनकी सुध लेने नही आया है परिवार में शहीद के बुजुर्ग माँ बाप, पत्नी व दो छोटे बच्चे है। पिता जी का कहना है कि सरकार ने कहा था कि वो परिवार की हर सम्भव मदद करते हुए 25 लाख रुपए की मदद करेंगे, गांव में सेना के लिये लोगो का प्रेम भाव देखते हुए शहीद तिलक राज जी की याद में एक खेल मैदान,शहीद स्मारक बजुर्ग माता पिता के लिये पेंशन सुविधा शुरू करने व उनके नाम पर शहीद गेट बनवाने गांव के लिये पक्की सड़क बनाने का वायदा किया था, बल्कि सड़क व मैदान के बारे में खुद भी तिलक राज जी ने पहले मुख्यमंत्री व वहां के स्थानीय विधायक को लिखित में मांग भेजी थी। लेकिन तब से आज तक शहादत का पूरा साल भी बीत गया है लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी वायदा पूरा नही किया गया है।
इस लिये SFI आज पूरे प्रदेश में शहीदों के सम्मान में SFI मैदान में पुलवामा हमले के शहीदों की कुर्बानी को याद करते हुए राष्ट्रीय झंडे के साथ मार्च करते हुए मांग करती है कि
केंद्र सरकार सेना के नाम पर राजनीति बन्द करो शहीदों के परिवार से किये वायदों को पूरा करो।
SFI मांग करती है कि
1). पुलवामा हमलें की न्यायिक जांच करवाई जाए।
2). पैरा मिल्ट्री फोर्सेज के शहीद हुए जवानों को शहीद का दर्जा दिया जाए।
3). पैरा मिल्ट्री फोर्सेज के जवानों को पेंशन की सुविधा दी जाए।
4). पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों को सरकार द्वारा किये गए सभी वादों को पूरा किया जाए।
देश के शहीदों का सम्मान करो , CAA, NRC के नाम पर देश को बांटना बन्द करो।
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