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एनआरसी और सीएबी के विरोध में वामपंथी दलों ने किया करसोग में प्रदर्शन

  • लेखक की तस्वीर: ahtv desk
    ahtv desk
  • 19 दिस॰ 2019
  • 2 मिनट पठन

कानून का करार दिया देश को तोड़ने वाला

नागरिक संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ वामपंथी दलों के अखिल भारतीय बंद के आह्वान पर आज करसोग में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सावादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मिल कर उपमंडल अधिकारी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और एसडीएम के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा।




अपने संयुक्त ज्ञापन में उन्होंने नागरिक संशोधन कानून को भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ करार दिया है जो कि नागरिक अधिनयम 1955 में दर्ज है। सविधान के मूल सिद्धांतों धर्म निरपेक्षता, समानता, भाईचारा व लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। इस से देश में सामाजिक विघटन पैदा होगा जिस से राष्ट्रीय एकता और अखंडता कमजोर होगी। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह कानून संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकारों के चार्टर व अंतर्राष्ट्रीय कानून के खिलाफ है।


प्रदर्शन को संबोधित करते हुए अधिवक्ता गोपाल कृष्ण ने कहा कि आरएसएस और भाजपा देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं, उसी दिृष्टिकोण से यह कानून लाया गया है यह देश को तोड़ने की साजिश है। अगर सरकार या भाजपा का विरोध किया जाए तो वह बोलती है उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। नागरिकता को धर्म से तय नहीं किया जाना चाहिए।


प्रदर्शन में भाकपा राज्य सचिव श्याम सिंह चौहान, माकपा राज्य सचिवालय सदस्य विश्वनाथ शर्मा, करतार सिंह, एसएफआई करसोग से संतोष कुमार, मोती राम, नेक राम शर्मा, गोपाल कृष्ण, कल्पना, तनुजा, तरुण, चानू, गोकुल, कुलदीप और हिमांशु आदि ने भाग लिया।


भाकपा के राज्य सचिव श्याम सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि मोदी और अमीत शाह की जोड़ी ने देश को तबाह कर दिया है। मेरा कोई धर्म नहीं है, मैं नास्तिक हूं। हमें इन काले कानूनों के खिलाफ खड़े होना होगा।



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