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लुहरी 2 बांध परियोजना के खिलाफ उतरे ग्रामीणजनसुनावाई को करार दिया नाटक 

  • लेखक की तस्वीर: ahtv desk
    ahtv desk
  • 8 दिस॰ 2019
  • 3 मिनट पठन


करसोग उपमंडल के गांव नांज में प्रस्तावित 172 मेगावाट लुहरी बांध परियोजना-2 की जन सुनवाई आज नांज गांव के पटवारखाना में एसजेवीएनएल व जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित की जिसमें ग्रामीणों ने जनसुनवाई को नाटक करार दिया है और सामाजिक प्रभाव आंकलन रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार ने बिना नोटिस दिए बांध के लिए टेस्टिंग शुरू कर दी। टेस्टिंग के दौरान सुरंग बनाने के लिए किए गए विस्फोटों से कई घर गिर चुके हैं। इतना ही नहीं ग्रामीणों का आरोप है कि सामाजिक आंकलन प्रभाव रिपोर्ट निजी कंपनी अबानकी इन्फ्रास्ट्रकचर एप्लीकेशनस एंड इंटिग्रेटिड डेवेलेप्मेंट प्राइवेट लिमिटेड ने मनमर्जी से बनाई है, ग्रामीणों पंचायत, ब्लाक समिति सदस्यों व जिला परिषद सदस्यों तक को यह रिपोर्ट नहीं दी गई। जनसुनवाई से पूर्व अपनाई जाने वाली संपूर्ण प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। प्रस्तावित लुहरी बांध परियोजना 1 से 27 किलोमीटर नीचे सतलुज नदी पर मंडी जिले के नांज गांव में 172 मेगावाट की लुहरी बांध परियोजना 2 प्रस्तावित है। इस परियोजना के लिए कुल 174.3584 हेक्टयेर भूमि को अधिग्रहण किया जाएगा। इस में 150.2135 हेक्टेयर भूमि वन भूमि है और वहीं 24.1449 हेक्टेयर भूमि निजी भूमि है। इस बांध से आठ गांव प्रभावित होंगे। इस बांध का जलाश्य 7.50 किलोमीटर का होगा जिससे 119.7991 हेक्टेयर भूमि जलमग्न होगी। इस परियोजना के लिए भूमिगत पावर हाउस शिमला जिले में बनेगा जिस के लिए सुरंग नांज गांव के नीचे से होकर गुजरेगी। इस परियोजना की कुल लागत 1741.65 करोड़ रूपए है।

सामाजिक कार्यकर्ता नेकराम ने जनसुनवाई में जनता की तरफ से आपत्ति दर्ज करवाते हुए कहा कि – जंगल की 150 हेक्टेयर जमीन जा रही है, जो रिपोर्ट तैयार की गई हैं उसमें वन अधिकार कानून के तहत मिले अधिकारों को खारिज कर दिया गया है, गुजर समुदाय व ग्रामीण सदियों से जंगलों पर अश्रित हैं, अगर यह परियोजना आएगी तो यह सारे अधिकार खारिज हो जाएंगे। रिपोर्ट में लिखा गया है कि नांज गांव के वन अधिकार कानून के तहत कोई वन अधिकार नहीं है, यह गलत है। जनसुनवाई के दौरान जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान ने कहा कि सामाजिक आंकलन प्रभाव रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा है, रिपोर्ट बताती है कि प्रभावित गांव में पानी की व्यवस्था नहीं, लोग बेरोजगार है, कृषि योग्य भूमि नहीं है जबकि नांज गांव पूरे क्षेत्र में आर्गेनिक खेती के लिए प्रसिद्ध है, इलाके में नकदी फसलें उगाई जाती है। अगर यह परियोजना पूरी होती है तो न केवल यहां का सामाजिक तानाबाना टूटेगा बल्कि पर्यावरण पर इसका जो असर पड़ेगा उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। जन सुनवाई की अध्यक्षता कर रहे करसोग एसडीएस सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि - “जन सुनवाई के दौरान ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने जो सुझाव दिए हैं व आपत्तियां दर्ज करवाई हैं, वह बहुमूल्य हैं, सामाजिक आंकलन रिपोर्ट तैयार करने वाली कंपनी की रिपोर्ट में बहुत सारी कमियां है। यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को तभी भेजी जाएगी जब ग्रामीण व जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर दोबारा बनाई जाएगी। लोगों से जबरदस्ती जमीन नहीं ली जाएगी, अगर कोई जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण करता है तो आप प्रशासन के पास आइए। अगर आप जमीन देने के लिए तैयार नहीं है तो यह परियोजना नहीं लगेगी।” नांज पंचायत उप प्रधान तेजेंद्र ने जन सुनावाई में सवाल दागते हुए कहा कि – हमारे साथ धोखा किया जा रहा है। सामाजिक आंकलन रिपोर्ट में लिखा गया है कि लोग बेरोजगार हैं, केवल एक फसल होती है, पानी की व्यवस्था नहीं यह गलत है। अगर रिपोर्ट ही गलत है, और हमें तुरंत रिपोर्ट दिखाई जा रही है तो हम इस पर अपनी क्या राय दें। हमें रिपोर्ट पहले दी जानी चाहिए थी, जन सुनवाई का नोटिफिकेशन समय पर देना चाहिए था। यह जन सुनवाई खारिज की जानी चाहिए। हम इस जन सुनवाई को नहीं मानते। जन सुनवाई में शामिल महिलाओं ने परिसर के बहार नारेबाजी करते हुए परियोजना को रद्द करने की मांग की। उनका कहना था कि अगर हमें जमीन से उजाड़ दिया जाएगा तो हम दोबारा बस नहीं पाएंगे। सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं पर पड़ेगा। हम सब्जी और पशुओं से लाखों रुपये कमा लेते हैं। अगर इतनी जमीन जाएगी, जंगल जाएगा तो वह पशुओं को कहां पर चराएंगे। बीडीएस सदस्या सत्या, ग्रामीण महिला मीणा देवी, द्रेपदी आदि ने कहा कि रिपोर्ट तैयार करने से पहले और बाद में भी हम से संपर्क नहीं किया गया। मनमर्जी के साथ रिपोर्ट तैयार की है। हम इसको खारिज करते हैं और जमीन नहीं देंगे। जितनी लड़ाई लड़नी पड़ी हम लड़ेगे। जन सुनवाई में एसडीएम करसोग सहित भूमि अधिग्रहण कलेक्टर हिमाचल प्रदेश ओपी नेगी, एसजेवीएनएल से एजेएम नंदलाल, एजेएम अक्षय आचार्य, डीजेएम राजेंद्र सचदेव उपस्थित रहे। जनसुनवाई पर उन्होंने प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। सभा में सैंकड़ों ग्रामीणों सहित नांज पूर्व प्रधान रुपलाल, सामाजिक कार्यकर्ता नेकराम, जिला परिषद श्याम सिंह, बशीर मोह्मद, प्रवीण आदि ने भाग लिया। वहीं

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